अनकही बातें
- CLAT Mentor Neeraj Sir
- Jul 11, 2023
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वो अखंड अभिशाप था, हां वो मेरा पाप था !
ना कोई पराकाष्ठा, ना कोई आधार था !
युं तो मैं अभिमानवश, हर पाप से अनजान था !
जब खुली ये नींद मेरी, अपने आप से परेशान था !
जो वो मेरा एक मान था, खुद से भी नाराज था !
जीतने को मेरे लिए, मुझसे ही लड़ने को तैयार था !
खुद को ही झकझोर रख दे, बस यही अब मांग था !
जीत वो गया था मुझसे, जो में झुकने को तैयार था !
- जो में झुकने को तैयार था
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